भजन-71
जहाँ आरती गाये शीश झुकाए हो जाए दूर अँधेरा
वो सतगुरु धाम है तेरा वो सतगुरु धाम है मेरा
1. जहाँ ब्रह्मा विष्णु शिव शंकर भी, मेरे गुरु के दर्शन पाए
मेरे सतगुरु की
महिमा ऐसी, के वेद पुराण भी गाए
जहाँ सूरज सबसे
पहले आके डाले अपना डेरा वो सतगुरु...........
2. जहाँ सत्संग सुमिरन और भजन कर, चौरासी कट जाए
जहाँ सतगुरु खुद
ही बाह पकड़ कर, भव से पार लागए
जहाँ संत महात्मा
और भक्तो का हर पल रहता डेरा वो सतगुरु.........
3. ये धाम जहाँ पर ऋषि मुनि, जपते गुरु नाम की माला
जहाँ आकर सबको
दर्शन दे मेरा सतगुरु हारा वाले
जहाँ आकर दूर हो जाए तेरा चौरासी का
फेरा वो सतगुरु धाम........
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