भजन-
73
मन की कुण्डी खोलो
जय गुरां दी बोलो
1.
नाम गुरु जा जपने वाले भाव सागर टार जाते है
दुःख और दर्द कभी ना आवे हर खुशियाँ वो पाते है
हर
जगह वो सतगुरु देखे रात दिन ये गाते है मन की ..................
2.
कई जन्मों के बाद हमने मानुष चोला पाया है
सतगुरु जी ने कृपा करके चरणों से लगाया है
नाम
तू जप उस सतगुरु जिसने शरण लगाया है मन की.................
3.
कुल दुनियां के वाली सतगुरु ताकत बड़ी रूहानी है
देख के जलवा मनवा झूमे
गुरु का कोई न सहानी है
तेज
अलौकिकरूप निराला मुखड़ा ये नुरानी है मन की..............
4.
प्रेमी गुरु के बन के रहिये दुनिया से क्या लेना है
हर पल जपिए नाम गुरां दा यही हमारा गहना है
सतगुरु
जी को दिल में बसा कर हर पल यही है कहना है मन की................
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