भजन
-16
हारा वाला श्याम मेरे घर आया घर आया मेरे घर
आया
मुझपे तरस ये खा गया, और मेरा मान बढ़ा गया
1. सुन ली मेरे सतगुरु ने फरियाद, रखली उसने आज भक्त
की लाज
अर्जी मेरी उसने सुनी, इज्जत हुई मेरी सौ गुनी
सेवक का मान बढ़ा गया मुझपे तरस वो खा गया
हारा..........
2. कैसे करूँ मैं सतगुरु का सत्कार, निर्धन हूँ बस दे
सकता हूँ प्यार
क्या दूँ भला सोंचू खड़ा, बस सोच में ही हूँ पड़ा
वो सच्ची प्रीत निभा गया और रुखी सुखी खा गया
हारा..........
3. दिल में बसी है सतगुरु की तस्वीर, मैं हूँ दाता
तेरे दर का फकीर
गाऊँ सदा तेरे भजन, मन में लगी तेरी लगन
मेरे मन की प्रीत जगा गया, और रुखी सुखी खा गया
हारा..........
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