Tuesday, December 22, 2020

63.ये दरबार हमारा त्रिभुवन

 

भजन -63

 

ये दरबार हमारा त्रिभुवन से है न्यारा

 

त्रिभुवन से है न्यारा प्यारे त्रिभुवन से है न्यारा ये दरबार हमारा..............

 

1. सच्ची खुशियाँ इस दरबार के चारों तरफ लहराती हैं -2

ऋधियाँ सिद्धियाँ देवियाँ शक्तियाँ सेवा को ललचाती हैं -2

शान अनोखी इसकी प्यारे सबका मन हर्षातीं है ये दरबार ...............

 

2. इस सच्चे दरबार की जो भी  चरण शरण में आ जाए -2

चार पदारथ सहजे मिल गए धन-धन भाग मना जाए -2

है ये बात हकीकत सज्जनों संतो ने फरमाया है ये दरबार ...............

 

3. सेवा भक्ति और नाम का यहाँ सच्चा दरबार है -2

इस दरबार के मालिक मेरे परमहंस अवतार है -2

सदा ही कायम रहने वाला अनुपम इनका प्यार है  ये दरबार.............

 

4. दासन दास पे श्री सतगुरु का कितना बड़ा ऐहसान है -2

नाम जहाज बनाया जो ले जाता भव से पार है -2

सारे प्रेमी मिलकर बोलो सतगुरु की जयकार है ये दरबार.............

 

 

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