Tuesday, December 22, 2020

54. सतगुरु दी नगरी अर्शां तो

 

भजन -54

 

सतगुरु दी नगरी अर्शां तो उतरी नक्शा क्या खूब बनाया है

 

नगरी दा राजा मेरा हारां वाला जिसने दरबार बनाया है

 

1. आनन्दपुर दियां सोनियां गलियां आसे-पासे हरियाली -2

सोने-सोने मंदिरा दी कैसी शान निराली -2

कार ते बैठ के सतगुरु आंदे सबका ही मन हर्षाया है सतगुरु दी..........

 

2. मोती बाग़ विच सतगुरु मेरे सैर करन नूँ आंदे -2

संगता दे नाल लीला करदे खूब परशाद लुटांदे -2

भक्ति दी दात प्रभु खूब लुटांदे सब नूँ ही शरणी लाया है सतगुरु दी.....

 

3. ऊँचे सिंहासन सतगुरु मेरे बड़े प्यारे लगदे -2

सोने -2 दर्शन करके जय-जय कारें लगदे -2

दर्शन नूरानी पाकर प्रभु का आनन्द ही आनन्द छाया है सतगुरु दी......

 

4. आनंदसर की शोभा न्यारी वैकुण्ठों का नज़ारा -2

संत रूप में मेरे प्रभु ने है अवतार धारा -2

राम बने कभी श्याम बने अब सतगुरु बन के आये है सतगुरु दी..........

 

 

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