भजन
-30
मेहर तेरी मेहर तेरी बनी रहे इस दास पे इस
दास पे
मेरे सतगुरु मेरे दाता किरपा ये करना चरणों
में रखना कही दूर न करना
1. तेरे जैसा होर दयालु नही होना
ऐना
मैला मन किसे वी नहीं धोना
पारस बन जाये
जो शरणी लग जाये
बड़भागी है
जिसपे तेरी नजर पड़े
मेरे सतगुरु
मेरे दाता किरपा ये करना
चरणों में
रखना कहीं दूर न करना मेहर
तेरी............
2. ना मैं मंगदा राज के तैनूँ भूल जावां
ना
मैं मंगदा ताज के ऐना सज जावां
जी करदा तेरे
दर दा नौकर बन जावां
बन के धूल
तेरे चरणां नाल लग जावा
मेरे सतगुरु
मेरे दाता किरपा ये करना
चरणों में
रखना कहीं दूर न करना मेहर तेरी............
3. सतगुरु जी रहमत अपनी वरसांदे रहो
प्रेम
दा प्याला प्रेमियाँ नू पिलांदे रहो
तेरे सिवा न
हमको कुछ भी याद रहे
मोह माया सदा
हम से ही दूर रहे
मेरे सतगुरु
मेरे दाता किरपा ये करना
चरणों में
रखना कहीं दूर न करना मेहर तेरी............
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