भजन
-53
सतगुरु खुशियाँ लुटांदे ने हर वेले
तैनूँ लूटना ना आवे ता ओ की करे
1. अंदर भक्ति की जोत जगा ले
मन गुरां चरना
विच लगा ले
ओतां शरणी
लगांदे ने हर वेले तैनूँ लगना न
2. खुद रख दे ने दिल दा महखाना
कोई पी जावे
आके दीवाना
ओता जाम
पिलांदे ने हर वेले तैनूँ पीना न आवे
3. सारे जग नूँ मैं ठुकरा के आया
तेरे दर ते
अलख जगाई
ओता अपना
बनादें ने हर वेले तैनूँ बनना न आवे
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