Tuesday, December 22, 2020

82. दुनिया से मैं हारा तो आया

 

भजन-82

 

दुनिया से मैं हारा तो आया तेरे द्वार,
यहाँ से भी जो हारा,
कहाँ जाऊंगा सरकार ॥

1.   सुख में कभी ना तेरी याद है आई,
      दुःख में सतगुरु तुमसे प्रीत लगाई,
      सारा दोष है मेरा में करता हूँ स्वीकार, यहाँ से भी.............

2.  मेरा तो क्या है में तो पहले से हारा,
तुमसे ही पूछेगा ये संसार सारा,
डूब गई क्यों नैया तेरे रहते खेवनहार, यहाँ से भी.............

3.  सब कुछ गवाया बस लाज बची है,
तुझपे सतगुरु मेरी आस टिकी है,
सुना है तुम सुनते हो हम जैसों की पुकार, यहाँ से भी.............

4.  जिनको सुनाया मैंने अपना फ़साना,
सबने बताया मुझकों तेरा ठिकाना,
सब कुछ छोड़ के आखिर, मैं आया तेरे दरबार, यहाँ से भी.............

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