भजन-41
मानुष जनम अनमोल रे मिट्टी में ना रोल रे,
अब जो मिला है फिर ना मिलेगा,
कभी नहीं रे, कभी नहीं रे, कभी नहीं रे,
1. तू सत्संग में आया कर, गीत प्रभु के गाया कर
साँझ
सवेरे बैठ के बन्दे, गीत प्रभु के गाया कर
नहीं
लगता कुछ मोल रे, मिट्टी में ना रोल रे
अब जो
मिला है फिर ना मिलेगा कभी.............
2. तू है बुलबुला पानी का, मत कर जोर जवानी का
संभल
संभल के कदम रखो, पता नही जिंदगानी का
सबसे
मीठा बोल रे, मिट्टी में ना
रोल रे
अब जो
मिला है फिर ना मिलेगा कभी.............
3. मतलब का संसार है ये, इसका नहीं ऐतबार है
सोच समझ के
चलना रे बन्दे फुल नही अंगार है
अब तो अखियाँ
खोल रे प्रभु से नाता जोड़ रे
अब जो मिला है फिर ना
मिलेगा कभी.............
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