भजन -14
दरबार गुरु का
छूटे ना -2 विनती करूँ बार बार...
नाम का सुमिरण, ध्यान का सुमिरण, संतो का संग छूटे ना...
1. ये गुलशन सदा महकता ही रहें, माली बनकें सेवा कमाएं
-2
तेरी
महफिल में वक्त ये बीते -2, तेरी बंदगी छूटे ना...
नाम
का सुमिरण..........
.
2. चाहें लाखों तूफान क्यूँ ना आयें मगर, मन के भरमों
को तू ही बचाए-2
मेरी
कश्ती को तू ने संभाला -2, उपकार तेरा भूले न
नाम
का सुमिरण..........
3. रूह चरणों में भागों से आए अगर, वो इन्सान का दर्जा
पाएँ -2
खुश
किस्मत इस किस्मत के -2, उपकार तेरा भूले न
नाम का
सुमिरण............
4. हर स्वांसों में तेरा ही नाम बसे, गुरु घर के ही
कहलाएँ -2
दासों की तेरे बिना ना -2, चौरासी छूटे ना
नाम का सुमिरण..........
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