भजन
-5
दाता तेरा नाम है अमृत जो पीवे सुख पावे
कई
जन्मों की भटकी रूहें चरण - शरण अब आए
1. श्री पाँच नियम जो हमें मिले है श्रद्धा से ही
निभाएँ
कलयुग के ये है सहारे सतगुरु प्राण अधारे
खाते पीते चलते फिरते नाम प्रभु का ध्यायें
चरणों मे बस यही है विनती, अंत तक निभ जाये
दाता...........
2. त्रिलोकी में सच कहाये ये है सच के द्वारे
घर -2
जाके अलख जगाए भक्ति के भंडारे
नाम
मे सुरति लगाने वाले आवागमन मिटायें
श्री परमहसों की पावन भक्ति मीलों तक लहराए
दाता...........
3. नाम का अमृत जो भी पीवे वो गुरुमुख कहलाए
बाकी तो झूठे इस जग मे हीरा जन्म गवाएँ
चरण शरण मे आ गुरु की मुक्ति अगर तू चाहे
दासों पर तेरी होगी रहमत गुरु महिमा जो गाए
दाता...........
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