भजन -31
दर्शन -2
दर्शन तेरा ऐ सतगुरु पुण्यों का धाम है -2
इक बार जो
करें तो, होता
पूरण काम है
1. टल जाती आधि व्याधियाँ, सब पाप होते दूर
इक झलक
से दिलदार की, दिल
होता नूरों नूर -2
मिट जाता
नूरी जलवे से, मन
का अज्ञान है इक बार.......
2. धुलती मलिनता सभी, मिट जाते सकल पाप
दर्शन के
पुण्य तीर्थ का, ऐसा
महा प्रताप
होता है
शुद्ध निर्मल मन, करता
स्नान है इक बार.......
3. बड़भागी पाते है दर्शन, संचित हो जिनके पुण्य -2
दर्शन की
झलक से होवे, कृत-
कृत, नर अधम -2
संतो का
कहना है यही,
ग्रंथो का प्रमाण हैं इक बार.......
4. अमृत का स्त्रोत है, सतगुरु जी तेरा दीदार -2
दो घूँट
पीने से होवे, गम, फिक्र, रंज, फरार -2
हुआ विमल
दास का मन, पिया
जब ये जाम हैं इक बार.......
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