भजन -9
जहाँ
संत समागम हरी कथा और आत्म शांति का डेरा
वो
आनन्दपुर है मेरा-2
1.
यहाँ
लाखों की संख्या में आते श्री दर्शन के मतवाले -2
यहाँ पावन तीर्थ सतगुरु दर्शन, पायें नसीबों वाले -2
यहाँ जय-जय कार के नारों से गूंजे है साँझ सवेरे.......
2.
यहाँ
श्री समाधि पे प्रेमीजन श्रद्धा के फूल चढ़ाते -2
यहाँ राजा रंक का भेद नहीं सब सेवक ही कहलाते -2
तज के अभिमान जो शीश झुकावे तो पार हो उसका बेड़ा.....
3.
यहाँ
शांति भवन में जो प्रेमी श्री चरणों का ध्यान लगाये -2
यहाँ कई जन्मों के चंचल मन भी सहज शांत हो जाये -2
यहाँ सेवा सत्संग सुमिरण में ही बीते सांझ और सवेरा......
4.
जो
आनंदसर स्नान करे, श्री मंदिर ध्यान लगाये -2
ध्यान ज्योति ह्रदय में प्रकटे और सहज मुक्ति हो जाये -2
ज्योत से ज्योत समाए छूटे चौरासी का फेरा.........
5.
छाया
है जंगल में मंगल और लीला है अजब न्यारी -2
पल पल शीतल सी पवन चले और महक रही फुलवारी -2
दासां मनवा आनंद पावे जब श्री दर्शन हो तेरा........
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