भजन -17
सतगुरु तेरे
दर पर मैं नित आता हूँ, आता ही रहूँ -2
आरती पूजा
महिमा तेरी गाता हूँ, गाता ही रहूँ....
1. तेरे जैसा और ना कोई, जग में तारणहारा हैं
इस
दुनियां में सुख का सागर तेरा ही एक द्वारा हैं
भक्ति
प्रेम की, दात
यहाँ से पाता हूँ, पाता ही रहूँ सतगुरु तेरे.....
2. श्रद्धा से जो दर पर आकर अपना शीश
झुकाता हैं
दुख दर्द
से झट वह प्राणी छूटकारा पा जाता हैं
श्री
चरणों मे मैं भी अपना शीश सदा झुकाता रहूँ सतगुरु तेरे.....
3. दर्शन तेरा बड़े भाग्यशाली प्राणी
ही पाते हैं
तेरे दर
पर आकर के वे अपना भाग्य मनाते हैं
दर्शन
तेरा सतगुरु प्यारे पाता हूँ, पाता ही रहूँ सतगुरु तेरे.....
4. मेरे प्रभु जी युगों युगों तक
रहूँ मैं सेवादार तेरा
रहें
हमेंशा मेरे दिल में सतगुरु आधार तेरा
दास हूँ
तेरा, सदा रहूँगा सारे जगत को सुनाता रहूँ सतगुरु तेरे.....
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