भजन -34
गुरुदेव
तुम्हारी महा महिमा -3 आ सकती नहीं है वर्णन में -2
चाहे लाख
ज़ुबान हो इक मुख में -2, और लाखों ही मुख हो इक तन में -2
1. युग-युग अवतार धरत हो तुम, सृष्टि के पाप हरत हो तुम -3
पूर्ण
स्वामी समर्थ हो तुम -2, भूमि का पाप उतारन में -2
गुरुदेव
तुम्हारी..........
2. संसार में आग भड़कती हैं, इक तेरी ही शरण में शांति हैं -3
मुझे
तेरी दया से सदा ही रहें -2, विश्वास तुम्हारे वचनन में -2
गुरुदेव
तुम्हारी..........
3. सब कष्ट हमारे दूर करो, माया की दुविधा चूर करो -3
निज
करुणा से भरपूर करो -2, भक्ति अपनी मेरे मन में -2
रहें दास
को तब आधार तेरा, और ध्यान
तुम्हारे चरणन में -2
गुरुदेव
तुम्हारी..........
*****