भजन
-21
तेरी महिमा अगम अपार है तेरी घर- घर जय- जय
कार है
त्रिलोकी में सबसे सुंदर तेरा श्री दरबार है
तेरा श्री दरबार है
1. त्रिलोकी के मालिक सतगुरु संत रूप धार आए है -2
मोह
माया की निंद्रा से सोये जीव जगाए है -2
बहुत
किया उपकार है लिया कलयुग मे अवतार है त्रिलोकी मे..........
2. श्रद्धा भाव से जो प्रेमी तेरे द्वार पे शीश झुकाता
है -2
चिंता
मणि पावन भक्ति से झोली भर ले जाता है -2
तेरा
बहुत बड़ा भंडार है जाने ये सब संसार है त्रिलोकी मे..........
3. क्यूँ ना अपने भाग मनाएँ तुझसा स्वामी पाया है -2
तेरी
चरण शरण मे आकर सब दुख दर्द मिटाया है -2
मिला
तेरा जो प्यार है दिल हो गया बाग बहार है त्रिलोकी मे..........
4. यही तमन्ना है बस स्वामी तेरे दास कहलाते रहे -2
बन
के गुरुमुख युग - युग तेरे द्वार सदा हम आते रहे -2
यही
हमारी पुकार है और न कुछ दरकार है त्रिलोकी मे..........
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