Monday, December 28, 2020

2. भक्ति और मुक्ति का

 

भजन -2

 

भक्ति और मुक्ति का सतगुरु जी तेरा दर है 

 

जहाँ काल और माया का रहता न कोई ड़र है

 

1. पग -2 पे माया ने यहाँ जाल बिछाया है -2

जीवों को चौरासी में इसने भरमाया है -2

तेरी किरपा बिन न तरे यह ऐसा चाकर है भक्ति...........

 

2. भक्ति रस के प्यासे जो दर पे आते है -2

गुरु नाम का अमृत पी वे भाग मनाते है -2

मिला संचित कर्मों से प्रभु तुझसा रहबर है भक्ति..............

 

3. अति पावन तीर्थ है सतगुरु जी तुम्हारी शरण -2

सब दुःख संताप मिटे जो आवे तेरी शरण -2

मिली चरण शरण दाता तो ये रहमत की नजर है भक्ति............

 

4. पूरी हो मुरादें सभी एक तेरे द्वारे पे -2

बन जाती है तकदीरें एक तेरे ईशारे से -2

तेरी किरपा से जगता सबका ही मुकद्दर है भक्ति.............

 

 

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