भजन-46
मिले जब पीर मुर्शिद है, चैन मेरी रूह ने पाया है
खजाना सच्ची खुशियों का यक़ीनन हाथ आया है
1. है
बक्शा नाम धन जब से श्री सतगुरु दया करके -२
टूट गए जग के सब बंधन छुट गई मोह
माया है खजाना........
2. नाम
सांचे के सरोवर में लगाई जबसे है डुबकी -2
धुल गए पाप जन्मों के ताप मन का
गवायाँ है खजाना........
3. भजन
सत्संग सेवा की लगन बड़ने लगी दिन –दिन -2
मिटे सब कल्पना चिंता, ह्रदय सुख
में समाया है खजाना........
4. बनाए
नियम सतगुरु ने, है जिसमे सुख भरा दासा
श्रद्धा से जो करे पालन सफल जीवन
बनाया है खजाना........
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