Monday, December 28, 2020

46. मिले जब पीर मुर्शिद है

 

भजन-46

 

मिले जब पीर मुर्शिद है, चैन मेरी रूह ने पाया है

खजाना सच्ची खुशियों का यक़ीनन हाथ आया है

 

1.    है बक्शा नाम धन जब से श्री सतगुरु दया करके -२

टूट गए जग के सब बंधन छुट गई मोह माया है खजाना........

 

2.    नाम सांचे के सरोवर में लगाई जबसे है डुबकी -2

धुल गए पाप जन्मों के ताप मन का गवायाँ है खजाना........

 

3.    भजन सत्संग सेवा की लगन बड़ने लगी दिन –दिन -2

मिटे सब कल्पना चिंता, ह्रदय सुख में समाया है खजाना........

 

4.    बनाए नियम सतगुरु ने, है जिसमे सुख भरा दासा

श्रद्धा से जो करे पालन सफल जीवन बनाया है खजाना........

 

 

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