भजन
-27
नित दर्श तुम्हारा पाँउ मैं और नहीं कुछ
चाहूँ
मेरे दाता ओ सतगुरु दाता मेरे दाता
1. बड़भागी गुरुमुख जन ही तेरा दर्शन पाते हैं, दर्शन पाते
हैं -2
तेरे दर पर
आकर अपना भाग मानते है, भाग मानते हैं -2
तेरे दर पर
मैं नित आँऊ मैं ओर नहीं कुछ चाहूँ मेरे दाता................
2. इस जग के अंदर तेरा सुख सागर है दरबार, सुख सागर
दरबार -2
शरण में आए जो
प्राणी उसका बेड़ा पार, उसका बेड़ा पार -2
मैं दास तेरा बन
जाँऊ मैं और नहीं कुछ चाहूँ मेरे दाता ...............
3. जो त्यागे सभी सहारे वो पाता है तेरा प्यार, पाता
तेरा प्यार -2
तेरी सेवा में
खुश रहता जाता है वो बलिहार, जाता वो बलिहार -2
मैं तेरे सदा
गुण गाँऊ मैं और नहीं कुछ चाहूँ मेरे दाता................
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