Monday, December 28, 2020

27. नित दर्श तुम्हारा पाँउ

 

भजन -27

 

नित दर्श तुम्हारा पाँउ मैं और नहीं कुछ चाहूँ

 

मेरे दाता ओ सतगुरु दाता मेरे दाता

 

1. बड़भागी गुरुमुख जन ही तेरा दर्शन पाते हैं, दर्शन पाते हैं -2

तेरे दर पर आकर अपना भाग मानते है, भाग मानते हैं -2

तेरे दर पर मैं नित आँऊ मैं ओर नहीं कुछ चाहूँ मेरे दाता................

 

2. इस जग के अंदर तेरा सुख सागर है दरबार, सुख सागर दरबार -2

शरण में आए जो प्राणी उसका बेड़ा पार, उसका बेड़ा पार -2

मैं दास तेरा बन जाँऊ मैं और नहीं कुछ चाहूँ मेरे दाता ...............

 

3. जो त्यागे सभी सहारे वो पाता है तेरा प्यार, पाता तेरा प्यार -2

तेरी सेवा में खुश रहता जाता है वो बलिहार, जाता वो बलिहार -2

मैं तेरे सदा गुण गाँऊ मैं और नहीं कुछ चाहूँ मेरे दाता................

 

 

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