भजन
-22
नजारां हैं अति सुंदर श्री सतगुरु के दर्शन
का
हर्ष में झूम जाता है रोम हर रोम मेरे मन का
1. श्री दर्शन महातीर्थ, जो सेवन करता मन चित से -2
मुक्त
त्रय ताप से होता, मिटे भय भव के बंधन का -2
हर्ष
मे झूम...................
2. सुशीलता करता दो नैना, तपश दिल की मिटाता है -2
तसव्वुर
ध्यान जब जाता, ह्रदय जब ईष्ट प्रीतम का -2
हर्ष
मे झूम...................
3. सता सकती ना मोह व्याधि, प्रभु चरणन अराधक को -2
गुजरता
साँसो की लय में, नाम सुमिरण का हर मनका -2
हर्ष
मे झूम...................
4. आलौकिक सुख भरी घड़ियाँ, मिलीं हमको नसीबों से -2
दास
पा जाता है मानो, सुदुर्लभ लाभ जीवन का -2
हर्ष
मे झूम...................
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