भजन -40
कर दो प्रभु जी मुझ पे इतना कर्म
तेरी शरण में बीते मेरा हर जन्म
1. परख लिए है मैंने अपने बेगाने
वक्त पड़ने पर कोई नहीं पहचाने
हो तेरी रहमत से दूर सब भ्रम करदो प्रभु जी मुझपे
इतना कर्म.......
2. तू ही एक हितैषी प्रभु, पराई है दुनिया
तेरे चरणों में है मिलती सारी ही खुशियाँ
निभाता रहूँ मैं अपना सेवक धर्म करदो प्रभु जी
मुझपे इतना कर्म.......
3. तुम संग प्रीत का नाता मैं जोडूँ
दुनिया के मेले से मुख अपना मोडूँ
बड़े तेरी और अब मेरा हर कदम करदो प्रभु जी मुझपे
इतना कर्म.......
4. संत रूप में हो तेरा प्रभु जब भी आना
इस दास को अपना दास तुम बनाना
तेरे ध्यान में निकले आखिरी ये दम करदो प्रभु जी
मुझपे इतना कर्म...
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