भजन
-14
आनंदपुर मे एक जोगी है -2
वो जोगी कैसा लगता है मेरे सतगुरु जैसा लगता
है
1. चिट्टा चोला सिर पे रुमाला सजता है -2
गले में फूलों की वो माला रखता है -2
उसका तो रूप बड़ा प्यारा है, वो मेरा हारां वाला है
इन फूलों के हारों का क्या कहना, ये है मेरे सतगुरु
का गहना आनंदपुर में..........
2. मुस्कान सच्चे मोती जैसी लगती है
-2
नूरी आँखो में जोती जोत चमकती है -2
इस
नूरी जोत पे जाऊँ वारी, ये सारी सृष्टि के है वाली
इस सृष्टि के भाग जगाए है, इसलिए प्रभु धरती पे आये
है आनंदपुर में..........
3. जब अमृत वर्षा करते मेरे सतगुरु
जी -2
खिल
जाती सारी संगत मिलती खुशहाली -2
इन वचनों की क्या महिमा है, ये मेरे प्रभु की रचना
है
इन वचनों पे अमल जो करता है, वो भवसागर से तरता है
आनंदपुर में..........
4. दासनदास
को भक्ति से भरपूर करो -2
जीवन के सारे
दुख दर्दों को दूर करो -2
इस
भक्ति से मुक्ति मिलती, चौरासी भी इससे कटती
भवसागर पार लगाते है, इसलिए प्रभु धरती पे आते है आनंदपुर
में..........
****