Wednesday, December 23, 2020

94. दर पर तुम्हारे आकर के दाता

 

भजन -94

 

दर पर तुम्हारे आकर के दाता

पाया है हमने सच्चे सुख का खजाना

 

1.     पुण्य कर्म के फल से हमकों पावन ये दरबार मिला

पावन इस दरबार से हमकों भक्ति का है दान मिला

छोड़ेंगे अब ना तेरा द्वार दाता पाया है हमने.............

 

2.     इस दरबार की महिमा सारी चौकुंठी में छाई है

देश विदेश के हर कोने में नाम की महिमा गाई है

नाम का अमृत जिसने पिया है पाया है उसने ..............

 

3.     सेवा की महिमा का प्रेमी अंत न पारवार है

श्रद्धा सहित निष्काम है जो करता, पाता पद निर्वाण है

जीवन में सच्ची खुशियाँ वो भरता पाता है वो सच्चे सुख.........

 

 

 

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