भजन
-57
सतपुरुष जग मैं सदा रोशन चिराग है
अमर है जोति है इनकी अमर गाथाये
अमर रहेगा जग में नूरी प्रकाश है
सतपुरुष...........
1. आते
धुर धाम से लक्ष्य लेकर यही
सोही
रूहों में भरते प्रभु जी जागृति
परउपकारी
सतगुरु जी मेरे
प्रदान
है करते भक्ति अनुराग है सतपुरुष...........
2. भक्ति
के पथ पे चलना सिखाया आपने
प्रेमा
भक्ति का पाठ सिखाया आपने
ऐसी
अनूठी मस्ती दी नाम की
रोशन
जग में नाम प्रताप है सतपुरुष...........
3. अंतर
के पट खोले सूरत शब्द योग से
रूह
करदी पुलकित अनहद नाद से
अंतकरन
को शुद्ध बनाया
निज
प्रेमियों पे करुणा धार के सतपुरुष...........
4. पांच
नियम बनाए गुरुमुखों के लिए
श्रद्धा
से जो करेगा आचरण नियम पे
माया
का वार फिर ना चलेगा
वरदान
ऐसा बक्शा है आपने सतपुरुष...........
5. रोशनी
का चिराग जगमगाऐगा सदा
प्रेमियों
के ह्रदय पट पे अमिट छाप दे गया
गूंजेंगे
नगमे इनके तराने
दास
भी गायेंगे श्रद्धा भावना से सतपुरुष...........
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