Wednesday, December 23, 2020

66. कबसे खड़े दर पे आँचल पसार

 

भजन -66

 

कबसे खड़े दर पे आँचल पसार

नाथ मेरी झोली भरो

मांगू फकत तेरे चरणों का प्यार नाथ मेरी............

 

1.   सुना मैंने ऐसे हो तुम सब के दाता

द्वार पे आये वो खाली ना जाता

पल एक में देते हो बिगड़ी सवार नाथ..............

 

2.   दामन में तेरे है खुशियाँ हजारों

जिसके नसीब में वो धन भाग का हो

सुख शांति के हो तुम भण्डार नाथ...........

 

3.   दीनों के बंधु प्रभु नाम तेरा

दीनों को बस एक सहारा है तेरा

दीनों और दुखियों के तुम हो आधार नाथ......

 

4.   करूँ क्या मैं अर्पण ना कुछ पास में है

तेरा ही है सब कुछ तू हर आस में है

किया तुझ पे ये जीवन निसार नाथ ............

 

 

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