भजन-87
पूरे गुरु
की शरण में जो आये वो सच्चा सुख पा जाए
सच्चा सुख
पाए, आनंद सच्चा पाए
1. गुरु बिन सांचा मीत ना होर
गुरु चरण ही सच्ची ठोर
गुरु चरणों से प्रीत जो लगाये वो
सच्चा सुख..............
2.
गुरु बिन जग में घोर अन्धकार
चढ़ जाए बेशक सूरज हजार
चाँद सूरज भी गुरु गुण गाये वो सच्चा
सुख..............
3.
सतगुरु जग के तारण हारे
नईया भव से पार उतारे
दास श्रद्धा से शीश जो झुकाए वो सच्चा सुख..............
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