Wednesday, December 23, 2020

55. सतगुरु मेरे दाता बिगड़ी

 

भजन-55

 

सतगुरु मेरे दाता बिगड़ी संवार दे

डूबी है नईयां मेरी सागर से तार दे

 

1. जन्मों से दुःख पाया माया में रच कर

भक्ति तेरी को भुला, विषयों में फस कर

कृपा से अपनी सब दुखड़े निवार दे डूबी है नईयां........

 

2. अज्ञानी जीव हूँ मैं कुछ भी न जानू

अपनी ना लाभ हानि बिल्कुल पहचांनू

नेकी बदी का प्रभु मुझको विचार दे डूबी है नईयां........

 

3. दुनिया की चतुराई थोथी है सारी

‌‍मान बड़ाई दौलत मुझकों न प्यारी

चाह यही है अपने चरणों का प्यार दे डूबी है नईयां........

 

4. तन मन मेरा तेरे प्रेम में रंग जाए

उतर कभी न दिल से ये उमंग जाए

दास को भक्ति का ऐसा खुमार दे डूबी है नईयां........

 

 

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