भजन-10
कुछ नहीं
बिगड़ेगा तेरा, हरी शरण आने के बाद,
हर ख़ुशी मिल जायेगी तुझे, चरणों में झुक जाने के
बाद,
कुछ नहीं बिगड़ेगा तेरा.......
1. प्रेम के मंजिल के
राही, कष्ट पाते हैं मगर
बीज़ फलता है सदा, मिट्टी में मिल जाने
के बाद, कुछ नहीं.......
2. देखकर काली घटा को, ए भ्रमर मत हो निराश,
बंद कलियाँ भी खिलेंगीं, रात ढ़ल जाने के बाद, कुछ नहीं.......
3. पूछों इन फूलों से
जाकर, छाई है कैसे बहार,
कब तलक काँटों पे सोया, डाल पर आने के बाद, कुछ नहीं.......
4. जब तलक है भेद मन में, कुछ नहीं कर पायेगा,
रंग लाएगा ये साधन, भेद मिट जाने के बाद, कुछ नहीं.......
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