भजन-54
बड़े
भाग से ये मनुज तन मिला है गंवाते -2 उम्र पार कर दी
खाने
कमाने में आयु गंवाई यूही जिंदगी हमने बेकार कर दी
1.
अभी चेत जा, वक्त जो भी बचा है
अरे काल मुख से ना, कोई बचा है
जरा सोच ले साथ, ले जायें क्या
यूही जिंदगी हमने बर्बाद कर दी बड़े
भाग......
2.
है संसार सागर में, जीवन की नईयां
है पतवार सतकर्म, सतगुरु खवैया
माया के चक्कर में फँस करके हमने
जीवन की नईया है मझधार करदी बड़े भाग......
3.
अगर चाहता अपना तू कल्याण प्राणी
तो ले मान सच्चे सतगुरु की वाणी
लगे अपना जीवन सतकर्म में अब
अभी तक तो यह उम्र बेकार कर दी बड़े
भाग......
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