भजन -17
प्रभु अपने दर से, अब तो ना टालों,
गिरा जा रहा हूँ, उठा लो उठा लो,
1. खाली ना जाता कोई दर से तुम्हारे,
द्वारे खड़ा
हूँ नन्ही बाहें पसारे,
चरणों की
सेवा में, लगा लो लगा लो गिरा जा रहा हूँ.........
2. नहीं टूट पायेगा, दुनियाँ का बंधन,
जब तक कृपा
ना होगी तेरी रघुनंदन,
कदम लड़खड़ाए
हैं, संभालो संभालो
गिरा जा रहा हूँ.........
3. अगर था हटाना तो फिर क्यों बुलाया,
सोते ही
रहने देते काहे जगाया,
अब जब
जगाया तो अपना बना लो गिरा जा रहा हूँ.........
4. बंधन प्रताप सारे टूट चुके हैं,
जितने
सहारे थे छूट चुके हैं,
अवसर मिला
है अपना वादा निभा लो, गिरा जा रहा हूँ.........
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