भजन-28
दर पर
तुम्हारे आया ठुकराओ या उठा लो
करुणा की
सिंधु मैया अपनी बिरद बचा लो
1.
शबरी या मीरा जैसा पाया हृदय ना मैंने-2
जो है दिया तुम्हारा लो अब इसे सम्भालो दर
पर तुम्हारे आया....
2.
दिन रात अपना-अपना करके बहुत ठगाया-2
कोई हुआ ना अपना अब अपना मुझे बना लो दर पर तुम्हारे आया....
3.
दोषी हूँ मैं या सारा ये खेल तुम्हारा-2
जो हूँ, समर्थ हो तुम, चाहे गजब जो ढालों दर
पर तुम्हारे आया....
4.
बस याद अपनी देदो सब कुछ भले ही ले लो-2
विषमय करील पर अब करुणा की दृष्टि डालो दर पर
तुम्हारे आया....
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