भजन-16
ना जानें कौन से गुण
पर,
ये दयानिधि रीझ जाते हैं,
1. नहीं स्वीकार करते हैं, निमंत्रण नृप सुयोधन
का,
विदुर के घर पहुँचकर
भोग, छिलकों का लगाते हैँ, ना जानें...........
2. ना आए मधुपुरी से
गोपियों की, दु:ख व्यथा सुनकर,
द्रुपजा की दशा पर, द्वारका से दौड़े आते
हैं, ना जानें...........
3. ना रोए वन गमन में, श्री पिता की वेदनाओं
पर,
उठा कर गिद्ध को निज
गोद में, आँसु बहाते हैं, ना जानें...........
4. कठिनता से चरण धोकर, मिले कुछ बिन्दु विधि
हर को,
वो चरणोदक स्वयं केवट
के, घर जाकर लुटाते हैं, ना जानें...........
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