Tuesday, December 15, 2020

66. रामा रामा रटते रटते, बीती रे उमरिया

 

भजन -66

 

रामा रामा रटते रटते, बीती रे उमरिया
रघुकुल नंदन कब आओगे, भिलनी की डगरिया

1. मैं शबरी भिलनी की जाई, भजन भाव ना जानु रे
   राम तेरे दर्शन के हित, वन में जीवन पालूं रे
   चरणकमल से निर्मल करदो, दासी की झोपड़िया रामा रामा...........

2. रोज सवेरे वन में जाकर,फल चुन चुन कर लाऊंगी
    अपने प्रभु के सन्मुख रख के, प्रेम से भोग लगाऊँगी

    मीठे मीठे बेरों की मैं, भर लाई छबरिया रामा रामा...........

3. सुंदर श्याम सलोनी मोहिनी मूरत, नैयनो बीच बसाऊंगी
    सुबह शाम नित उठकर मै तो, तेरा ध्यान लगाऊँगी
    पद पंकज की रज धर मस्तक, जीवन सफल बनाउंगी
    अब क्या प्रभु जी भूल गए हो, दासी की डगरिया रामा रामा...........

4. नाथ तेरे दर्शन की प्यासी, मैं अबला इक नारी हूँ
    दर्शन बिन दोऊ नैना तरसें, सुनलो बहुत दुखारी हूँ
    हरी रूप में दर्शन देदो, डालो एक नजरिया रामा रामा...........

 

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