भजन-55
ज्योत से ज्योत जगाते चलो, प्रेम की गंगा बहाते चलो
राह में आए
जो दीन दुखी, सबको
गले से लगाते चलो
1. जिसका न कोई संगी साथी, ईश्वर है रखवाला
जो निर्धन
है जो निर्बल है, वो
है प्रभु का प्यारा
प्यार के
मोती लुटाते चलो, प्रेम
की गंगा बहाते......
2. आशा टूटी ममता रूठी, छूट गया है किनारा
बंद करो मत
द्वार दया का, दे
दो नाथ सहारा
दीप दया का
जलाते चलो, प्रेम
की गंगा बहाते.....
3.
कौन है ऊँचा कौन है नीचा, सबमे वही है समाया
भेद भाव के झूठे भ्रम में, ये
मानव भरमाया
भ्रम ध्वजा फरहाते चलो, प्रेम
की गंगा बहाते चलो......
4.
सारे जग के कण कण में है दिव्य अमर एक आत्मा
एक ब्रह्म है एक सत्य है एक ही
है परमात्मा
प्राण से प्राण मिलते चलो,
प्रेम की गंगा बहाते चलो.........
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