भजन-9
परिश्रम करे कोई, कितना भी लेकिन,
कृपा के बिना काम बनता नहीं है,
निराशा निशा नष्ट होती ना तब तक,
दया भानु जब तक निकलता नहीं है,
1. अमित वासनाएं अमित रूप
ले कर,
अंत करण में उपद्रव मचाती,
तब फिर कृपासिंधू श्री राम जी के,
अनुग्रह बिना मन सम्भलता नहीं है, परिश्रम करें......
2. मृगावरी जैसे असत इस
जगत से,
पुरुषार्थ के बल पर बचना है मुश्क़िल,
श्री हरि के सेवक जो छल छोड़ बनते,
उन्हें फिर ये संसार छलता नहीं है, परिश्रम करें......
3. सद्गुरू शुभाशीष पाने
से पहले,
जलता नहीं ज्ञान दीपक भी घर में,
बहती ना तब तक समर्पण की सरिता,
अहंकार जब तक पिघलता नहीं है, परिश्रम करें......
4. राजेश्वरानन्द आनंद
अपना,
पाकर ही लगता है, ये जग जाल सपना,
तन बदले कितने भी, पर प्रभु भजन बिन,
कभी जन का जीवन बदलता नहीं, परिश्रम करें......
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