भजन-38
जब
जब याद पड़े रघुराई
प्राण
निकलना चाहे रे माई
1. कैसे
होंगे भैया मेरे तपती धरा और जलती धुप में
कंकरी राहे, नगे पाँव भाभी होगी किस रूप में
कोई न समझे, पीर पराई जब जब याद
2. डर-2 लगता
है भैया मुझे अब कभी ना अपनाएंगे
अपने ह्रदय का शीशा कैसे हम निकाल कर दिखाएँगे
कैसे
सहंगे -2 ये लम्बी जुदाई जब जब याद
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