भजन-7
स्वर्ग कहते
किसे, जानते
हम नहीं
स्वर्ग का देवता, सामने
आ गया।
बन के बालक सलौना, अवध
भूप का,
मेरे नयनो में, अपबर्ग
(अनुपम) सुख छा गया,
स्वर्ग कहते किसे, जानते
हम नहीं
1. आज बिहसी दिशाए, कमल
खिल गएँ,
टिमटिमाते ये दिए, ये अभी
जल गएँ,
आज परियों ने, मंगल
सजाए मुदित
मन अनूठा नया, चन्द्रमा
पा गया, स्वर्ग कहते किसे.......
2. कोकीलाओं ने
घोला, सुरस
कुञ्ज में,
रागिनी छाई मंगल की, अली
कुञ्ज में,
भाग्य के उन छबीले, कलश
में अहो,
प्रेम का पुण्य, पियूष
बरसा गया, स्वर्ग
कहते किसे.......
3. जो निगम को अगम, शुद्ध
मन को सुगम,
देके सरगम मनोरम, विषम
और सम,
दास गिरधर के दृग, तूलिका
पर वही,
अपने सुन्दर मधुर चित्र
लहरा गया, स्वर्ग
कहते किसे.....
*****