Tuesday, December 15, 2020

53. उलझ मत दिल बहारो में बहारो

                                                                       भजन-53

 

उलझ मत दिल बहारो में बहारो का भरोसा क्या,
सहारे छुट जाते है सहारों का भरोसा क्या,

1. तू संबल नाम का लेकर के किनारों से किनारा कर,
  किनारे टूट जाते है किनारों का भरोसा क्या उलझ मत........

 

2. पथिक तू अकलमंदी पर, विचारों पर न इतराना

   कहा कब मन बिगड़ जाए विचारों का भरोसा क्या उलझ मत........

 

 

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