भजन-32
व्यर्थ बिताती है क्यो जीवन, मुख मन्दिर मे
पड़ी-पड़ी ।
हरि बोल मेरी
रसना घड़ी -2
- जाग उठे तेरी ध्वनि सुनकर,
इस काया की कड़ी कड़ी हरि बोल..........
- नित्य निकाल राम नाम धुन
स्वांस स्वांस से लड़ी लड़ी हरि बोल..........
- बरसादे हरि नाम सुधारस
बिन्दु बिन्दु से झड़ी झड़ी हरि बोल..........
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