भजन-41
बहुत
दिन से तारीफ़ सुनकर तुम्हारी
शरण आ गया श्यामसुन्दर तुम्हारी
1. जो अब टाल दोगे
मुझे अपने दर से
तो होगी हँसी नाथ दर-दर तुम्हारी बहुत दिन से.........
2. सुना है कि उसको
न करुणा सताती
जो रहते हैं करुणा नज़र पर तुम्हारी बहुत दिन से.........
3. यही प्रार्थना
है यही याचना है
जुदा हूँ न नजरों से पल भर तुम्हारी बहुत दिन से.........
4. ये दृग ‘बिन्दु’ तुमको खबर दे
रहे हैं
कि है याद दिल में बराबर तुम्हारी बहुत दिन से.........
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