भजन-64
कहीं
देख दुखिया दुखी तेरा मन है,
यही
तो भजन है2
1.
कोई गिर गया है, मैं
कैसे उठाऊं,
उठाने से पहले स्वयं गिर न जाऊं
वो रोता है यदि तेरे
मन में रुदन है,
यही तो भजन है -2
2.
जरूरी नहीं है तुम्हे ताक न थी।
न बातें करो तुम कभी अर्चना की।
दया है तो तन यह भजन का भवन है।
यही तो भजन है-2
3.
कहीं एक अंधे को रस्ता दिखाया।
अतिथि को बैठाकर के पानी पिलाया।
वो है सन्त राही का सत सत नमन है।
यही तो भजन है-2
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