Tuesday, December 15, 2020

30. ऐसा सुंदर स्वभाव कहाँ पाया

 

भजन -30

 

ऐसा सुंदर स्वभाव कहाँ पाया,
राघवजी तुम्हें ऐसा किसने बनाया ।

 

1.    पर नारी पर दृष्टि न ड़ाली,
ऐसी तुम्हरी प्रकृति निराली,
तुम्हें वाल्मीकि तुलसी ने गाया, राघवजी तुम्हें..........

 

2.    अवगुन देख के क्रोध न आता,
भक्तों को देख के प्रेम न समाता,
धन्य कोसलाजू जिसने तुम्हें जाया राघवजी तुम्हें..........

 

3.    अपने किये का अभिमान न तुमको,
निज जन का सनमान है तुमको,
तुम्हें रामभद्राचार्य अति भाया राघवजी तुम्हें..........

 

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