Tuesday, December 15, 2020

25. तुम्ही में ये जीवन जिए

 

भजन -25

तुम्ही में ये जीवन जिए जा रहा हूँ

जो कुछ दे रहे हो लिए जा रहा हूँ

 

1. तुम्ही से चला करती प्राणों की धड़कन

तुम्ही से सचेतन अंहकार तन मन

    तुम्ही में ये दर्शन किये जा रहा हूँ जो कुछ दे रहे........

 

2. असत के सदा आश्रय हो तुम्ही सत

तुम्ही में विषय विष तुम्ही में है अमृत

पिलाते हो जो कुछ भी पिए जा रहा हूँ जो कुछ दे रहे..........

 

3. जहाँ भी रहूँ ध्यान में तुमको देखूं

तुम्ही में हूँ मैं ज्ञान में तुमको देखूं

पथिक मैं ये अर्जी किये जा रहा हूँ जो कुछ दे रहे........

 

 

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