भजन-57
शरण में आया हूँ मेरे राम
तुम्हारी तारो न तारो
प्रभु जी तारों न तारों
1. गीध अजामिल गनिका को प्रभु तुम
ही उबारे थे
वही हमारी अर्जी है प्रभु जी तारों ना तारों शरण में.........
2. मित्र सुदामा को केशव कहो तुम ही
तारे थे
मैं भी वही दुखारी हूँ प्रभु जी तारों ना तारों शरण
में.........
3. मध्य सभा में द्रुपद सुदा की लाज
बचाए थे
अबकी हमारी बारी है प्रभु जी तारों ना तारों शरण में.........
4. देखी अधमता भिक्षु की यदि दूर जो
भागोगे
फिर होगी हँसी तुम्हारी प्रभु जी तारों ना तारों शरण
में.........
*****